Ch.8- भिक्षुक

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Workbook Answers of भिक्षुक  - Hindi Sahitya Sagar.



Chapter.8 - “ भिक्षुक ”
प्रश्न एवं उत्तर :-

1. वह आता ................पथ पर आता।

(क) यहाँ किसके आने की बात की जा रही है? उसका कवि पर क्या प्रभाव पड़ता है? समझाकर लिखिए।
उत्तर- यहाँ भिक्षुक की आने की बात की जा रही है। कवि भिक्षुक के दयनीय दशा को देखकर आहत हो जाते है और उनके हृदय में करूणा व संवेदना के भाव पैदा होते हैं, उनका मन फटने लगता है।

(ख) 'दो टूक कलेजे के करता' से कवि का क्या तात्पर्य है? समझाकर लिखिए।
उत्तर- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने इन पंक्तियों में एक भिक्षुक की दयनीय दशा का चित्रणा किया है, निराला जी कहते हैं कि एक भिक्षुक हुदय में दुखी होता हुआ, पश्चाताप करता हुआ सड़क पर आ रहा है, उसकी दशा को देखकर कवि के हृदय के टुकड़े हुए जा रहे है।

(ग) कवि ने उसकी गरीबी का वर्णन किस प्रकार किया है? वह किस प्रकार चलता है तथा भूख मिटाने के लिए क्या करता है? समझाकर लिखिए।
उत्तर- कवि ने भिक्षुक का वर्णन इस प्रकार किया है कि वह इतना दुर्बन है कि उसकी पीठ और पेट मिलकर एक हो गये हैं, उसकी दशा इतनी नाजूक है कि उसे चलने के लिए लाठी का सहारा लेना पड़ रहा है। वह अपनी भूख मिटाने के लिए लोगों से भिक्षा (एक मुट्‌ठी अनाज) की माँग करता है।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश को पढ़कर हमारी आँखों के सामने जो दृश्य उपस्थित होता है उसे अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर- प्रस्तुत पंधांश को पढ़कर हमारी आंखों के सामने भिखारी की बड़ी ही मार्मिक पर यथार्थ चित्र सामने उपस्तिथत होता है। वह भोजन के अभाव में तथा चिन्ता से बहुत कमजोर हो गया है। उसका खाली पेट - पीठ से लगा सा लगता है। वह इतना कमजोर हो गया है कि उसे लाठी के सहारे चलना पड़ रहा है । वह मुट्ठी भर अन्न से अपने तथा अपने परिवार का आधा-अधूरा पेट भरना चाहता है।

2. साथ दो बच्चे ..................... पीकर रह जाते।

(क) भिखारी के साथ कौन-कौन हैं? वे क्या कर रहे हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भिखारी के साथ उसके दो बच्चे भी है। वे हाथ फैला- फैला कर भीख माँग रहे है। वे अपने बाएँ हाथ से अपने पेट को मल रहें है और दाहिना हाथ लोगों के सामने भिक्षा के लिए पसार रहे है।

(ख) भूख से उनकी क्या दशा हो गई है? इसमें समाज का कितना दोष है? समझाकर लिखिए।
उत्तर- भूख से उसके शरीर का मांस सूख चुका है इसलिए उसके पेट तथा पीठ जुड़े हुए से लगते हैं। भिखारी की ऐसी दशा के लिए पूर्ण रूप से समाज जिम्मेदार है। समाज ने अगर थोड़ा भी उस व्यक्ति के बारे में सोचा होता तो उसे भीख मांगने जैसा नीच काम नहीं करन पड़ता।

(ग) 'दाता-भाग्य-विधाता से क्या पाते' का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘दाता - भाग्य - विधाता से क्या पाते’ से  कवि का यह भाव कि जब भिक्षुक और उसके दो बच्चों भूख क संकेत दे रहे हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ मिन जाए। परंतु उन्हें लोगे से अपमान, उपेक्षा, नफरत, घृणा, मजाक और निरादर ही मिलता है। जिन्हें वे अपना भाग्य विधाता मानते हैं, उनसे उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता ।

(घ) 'आँसुओं के घूंट पीना' एक मुहावरा है? कवि ने इसका प्रयोग किस सन्दर्भ में किया है? समझाकर लिखिए।
उत्तर- ‘आँसुओं के घंटे पीना’ एक मुहावरा है जिसका अर्थ हैं कि घोर दुख होने पर भी शांत रहना और आँखों में आँसू तक न आने देना। जब भिक्षुक और उसके बच्चे अपने भाग्य - विधाता से भूख, अपमान और उपेक्षा आदि के अलावा और कुछ नहीं पाते, तो वे अपमान और दुख के कारण अपना मन मसोसकर रह जाते हैं।

3. चाट रहे जठी पत्तल .................. खींच लूँगा।

(क) भिखारी तथा उसके बच्चे जूठी पत्तलें चाटने के लिए क्यों विवश हैं?
उत्तर- अपनी भूख को सहन न कर पाने की स्थिति से भिक्षुक और उसके दोनों बच्चे जब किसी अन्य से कुछ भी प्राप्त नह कर पाते, तो वे सड़क पर पड़ी जूठी पत्तलें ही चाहने को विवश हो जाते है, ताकि सड़क पर पड़ी जूठी पत्तलों पर बचा - खुचा थोड़ा-सा भोजन चाटकर वे अपनी भूख मिटा सकें।

(ख) 'झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए' इस प्रकार की तुलना द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहते हैं?
उत्तर- कवि कहते हैं कि उस भिक्षुक का दुर्भाग्हैय है कि जब वे जूठी पत्तलों को चाटने का यत्न करते हैं, तो कुत्ते भी उनसे उन पत्तलों को छीनने का प्रयास करते है और उन पर झपट पड़ते है। कवि स्पष्ट करना चाहता है कि भिक्षुक की दशा पशुओं से भी बदतर व हीन है।

(ग) 'मेरे हृदय में है अमृत, में सींच दूँगा' वाक्यांश से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- 'मेरे हृदय में है अमृत, मैं सींच दूँगा’ से कवि का यह तात्पर्य है कि कवि के हृदय में प्रेता है, दया रूपी अमृत है, कविता लिखने का हुनर है। वह भिक्षुक को अपनी कविता के माध्यम से समाज मे न्याय दिनाएँगे, वह भिखारी उनकी कविता के कारण युगो - युगों तक समाज की संवेदना प्राप्त करता रहेगा तथा सहानुभूति का पात्र हो सकेगा।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में व्यक्त कवि की पीड़ा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश में कावि भिक्षुक की दयनीय दशा को देखकर आहत हो जाते है। उनका मन फटने लगता है। कवि के हदय में भिक्षुक के प्रति सहानुभूति है। कवि भिशुक की पीड़ा को देखकर प्रबुद्ध समाज में भिलुक के प्रति सहानु‌भूति उत्पन्न करके उसकी दशा सुधारने का प्रयास करने का भाव रखते हैं।


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