Workbook Answers of बात अठन्नी की
- Hindi Sahitya Sagar
Chapter.1 - “ बात अठन्नी की ”
प्रश्न एवं उत्तर :-
1. "अगर तुम्हें कोई ज़्यादा दे तो चले जाओ। मैं तनख्वाह नहीं बढ़ाऊँगा।"
(क) ये वाक्य किस संदर्भ में कहे गए हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - जब इंजीनियर बाबू जगतसिंह के नौकर रसीला नै बार-बार अपनी वेतना बढ़ाने की प्रार्थना, तब उन्होने यह वाक्य कहा।
(ख) श्रोता कौन है, वह तनख्वाह बढ़ाने को क्यों कह रहा है? अपने विचार लिखकर उसकी प्रार्थना की पुष्टि कीजिए।
उत्तर - श्रोता रसीला है, उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना इसलिए की क्योंकि उसके परिवार में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे । उन सबका भार उसी के कंधों पर था। वह अपनी सारी तनख्वाह घर भेज देता था, परंतु घरवालों का उससे गुज़ारा नहीं चल पाता था।
(ग) रसीला की आर्थिक स्थिति कैसी थी? बाबू जगतसिंह के अपने नौकर के प्रति व्यवहार के बारे में अपने विचार भी व्यक्त कीजिए।
उत्तर - रसीला की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, जब रसीला ने जगतसिंह को अपनी वेतन बढ़ाने की प्रार्थना की तव जगतसिंह ने कठोर दिल से इनकार कर दिया और जब रसीला का झूठ पकड़ा गया तब उन्होंने अपने ही नौकर रसीला, जिसने सालों से उन्हें सेवा दी, को मारकर पुलिस थाने ले गए और सिपाही को पाँचौ रुपए देकर सच उगलाने के लिए कहा।
(घ) कहानी के शीर्षक की प्रासंगिकता लिखते हुए अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर - “बात अठन्नी की” में जगहतसिंह ने एक अठन्नी के बिए अपने सानों पुराने दमामदार नौकार, रसीला को पुलिस में पकड़वा देता है और सिपाही को पाँच रूपए का रिश्वत देता है, रसीला को छह महीने की सना मिलती है और रिश्वत लेने वाले धनी लोगे नरम गद्दों पर मीठी नीद ने रहे थे, वहाँ अठन्नी का चोर जेल से पछता रहा था।
2. “अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते पर मुझ पर यहाँ कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर न मिलेगा।"
(क) उपरोक्त कथन का संदर्भ लिखिए।
उत्तर - जब इंजीनियर बाबू जगतसिंह ने रसीला से कहा कि अगर उसे कोई ज्यादा तनख्वाह दे तो वह अवश्य चला जा सकता है तब रसीला यह वाक्य सोचता है।
(ख) 'संदेह करने' से आप क्या समझते हैं? कौन किस पर और क्यों संदेह नहीं करता था?
उत्तर - "संदेह करने" का मतलब यह हैं कि किसी के काम यो ईमानदानी पर शक करना। इंजीनियर बाबू जगतसिंह अपने नौकर रसीला पर संदेह नही करते थे क्योंकि रसीला उनके वहाँ सालों से काम करता था और वह ईमानदार था।
(ग) 'पर ऐसा आदर न मिलेगा' से वक्ता का क्या आशय है? उसके ऐसा सोचने का क्या कारण है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर - इससे वक्ता का यह आराय है कि इंजीनियर बाब जगतसिंह ने रसीला के ऊपर कभी संदेह न किया है और उसपर हमेशा भरोसा रखे हैं । वह ऐसा सोचता है क्योकि उसे लगता है अमीर लोग नौकरों पर संदेह करते हैं और नौकरो पर विश्वास नहीं करते हैं।
(घ) 'अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते' कथन की सत्यता की पुष्टि में अपने विचार लिखिए। सहमत होने का मुख्य कारण भी लिखिए।
उत्तर - यह कथन पूरी तरह से सत्य है क्योकि अमीर लोग गरीब को चोर और लाचार समझते है और वह कठोर दिल से उनकी भावनाओं को समझते है और उनकी सहायता नहीं करते है। वह हमेशा उनपर संदेह करते है और उनपर विश्वास नही करते हैं।
3. रसीला ने रमज़ान का हठ देखा तो आँखें भर आईं। बोला, "घर से खत आया है, बच्चे बीमार हैं और रुपया नहीं है।"
(क) रसीला कौन है? वह किससे बात कर रहा है? उसका उससे क्या सम्बन्ध है?
उत्तर - रसीला इंजीनियर बार जगतसिंह का नौकर था। वह जगतसिंह के पड़ोस में रहने वाले जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के चौकीदार रमज़ान से बात कर रहा था।उनके बीच मित्रता का संबंध हैं।
(ख) रमज़ान कौन है? उसका परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर - रमज्ञान जिला मेजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन का चौकीदार है, वह एक ईमानदार, उदार, सहनशील व्यक्ति है। रसीला की उदास आँखों मो छिपे दर्द को पहचान कर उसने तुरंत उसे पैसे वे दिए। वह एक जागरूक नागरिक या और रसीला का सच्चा मित्र था।
(ग) रसीला की आँखें क्यों भर आईं? कारण लिखते हुए बताइए कि वह किस परेशानी में है।
उत्तर - जब रमज़ान ने देखा कि रसीला उदास था और उससे कारण पूछा तब रसीला छिपाता रहा परंतु रमज़ान ने उसको सौगंध खाकर बोलने को कहा तब रमज़ान की हठ देखकर रसीला की आँखें भर आई। रसीला के बच्चे बीमार थे और रसीला के वेतन से उसके परिवार का गुजारा न चलता और इस कारण से वह जगतसिंह से
पेनंगी मांगता है परंतु वह इनकार कर देते हैं।
(घ) रसीला की परेशानी में उसके मित्र ने किस प्रकार उसकी मदद की? सच्चे मित्र की पहचान के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर - रसीला की परेशानी में उसके मित्र, रमज़ाम ने तुरंत पैसे लाकर रसीला के हाथों पर रख कर उसकी मदद की। सजे मित्र वे है जो अपने मित्र की मन की बात समड़ा जाते है और वह उनके सुख-दुख में उनकी सहायता करता है।
4. "मनवा लेना। लातों के भूत बातों से नहीं मानते।"
(क) उपरोक्त कथन का वक्ता कौन है? वह किसके बारे में किससे, क्या कह रहा है?
उत्तर - इस कथन के सिपाही वक्ता इंजीनियर बाबू जगतसिंह है। वह पुलिस थाने के सिपाही को अपने नौकर, रसीला के बारे में कह रहे हैं कि रसीला को अपना अपराध मनवाकर सजा दिलाना।
(ख) कथन के वक्ता का पूरा परिचय देते हुए उसके अपने घर के नौकर के प्रति व्यवहार के बारे में भी लिखिए।
उत्तर - कथन के वक्ता इंजीनियर बाबू जगतसिंह है और वह लालची, निर्दयी और कंजूस व्यक्ति थे और वह रिश्वत लेते भी और देते भी थे। वह अपने नौकर रसीला को अठन्नी की चोरी को मनवाने के लिए सिपाही को पाँच रुपए का नोट देते हैं। वह बहुत कठोर दिल के मालिक थे। उन्हेले मात्र अठन्नी की चोरी के लिए अपने नौकर को बुरी तरह पीटे और घसीटते हुए थाने भी ले गए।
(ग) 'मनवा लेना'- किससे व क्यों कहा जा रहा है? मनवाने के लिए वक्ता के द्वारा दिए गए प्रलोभन के बारे में भी लिखिए।
उत्तर - यह वाक्य इंजीनियर बाबू जगतसिंह ने पुलिस थाने के सिवाही से कहा क्योकि वह चाहता कि रसीला अपनी अठन्नी की चौरी मानले। उसे मनवाने के लिए पहले उन्होंने हलवाई के पास ले जाने का डर दिखाया फिर रसीला ने जब झूठ माना तब वह उसे मारते - मारते पुलिस थाने ने लाए और फिर सिपाही को पाँच रूपए देकर उसे रसीला को मनवाने को कहाँ, यह सब प्रनोवन वक्ता के द्वारा किये गए थे। इस तरह का प्रलोभन वक्ता के द्वारा किया गए थे। इस तरह का प्रलोभन देश व समाज के लिए बहुत हानिकारक है।
(घ) "गरीब की छोटी-सी गलती भी अपराध बनकर उसे सज़ा दिला देती है, पर अमीर उसी से विलासिता की ज़िदगी जीता है।"- कहानी के संदर्भ में इस कथन को समझाकर लिखिए।
उत्तर - रसीला ने अठन्नी की चोरी की थी जिसके कारण उसके मालिक ने उसे मारा-पीटा और उसे कचहरी में छह महीने की सजा सुनाई गई क्योंकि वह गरीब और लाचार था परंतु उसके मालिक रिशवत लेते भी और देते थी और जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुददीन जो सजा सुनाके उसी रुमाल से मुँह पोछा जिसमे उन्हें हजार रूपए का रिश्खन मिला ना लेकिन उन्हें कोई कुछ न बोल पाता क्योकि वे अमीर है।
5. "रसीला ने तुरन्त अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसने कोई बहाना न बनाया। चाहता तो कह सकता था कि यह साज़िश है।"
(क) रसीला का क्या अपराध था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - जब इंजिनीयर बाबू जातसिंह के रसीला को पाँच रूपए मिठाई लाने को कहा तब रसीला साढ़े चार रुपए की मिठाई लाया और अठन्नी रमजान को दिया ताकी उसका कर्ज़ खत्म हो जाए। यह चोरी ही रसीला को अपराध था।
ख) 'तुरन्त अपराध स्वीकार करने' से आप क्या समझते हैं? उसने ऐसा क्यों किया ? समझाकर लिखिए।
उत्तर - “तुरन्त अपराध स्वीकार करने” का यह मतलब है कि रसीना ने कचहरी में कोई बहाना न बनाया और अपनी औठन्नी की चौरी मानली।कोई बहाना न बनाया क्योंकि वह एक झूठ बोलकर और एक झूठ बोलने की हिमत न कर पाया और अपनी चोरी स्वीकार करली,
(ग) 'बहाना' बनाने से उसे क्या लाभ मिलता? इस विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर - बहाना बनाने से रसीला को लाभ मिल पाता क्योकि सजा कम हो सकती थी या उसे कोई सज़ा ही न मिलती और वह बच जाता।वह यह बोल सकता कि इंजिनीयर बाबू जगतसिंह और हलवाई ने मिलकर उसे फंसाया है परंतु उसने ऐसा कुछ नहीं किया। उसने वहाँ भी ईमानदारी का परिचय दिया।
(घ) कहानी को ध्यान में रखते हुए लिखिए कि हमें अपने नौकरों से कैसा व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर - हमें अपने नौकरों से अच्छा व्यवार करना चाहिए और मानवता से पेश आना चाहिए और उनको परेशानी को समझा कर उनकी मदद करनी चाहिए और उन पर विश्वास करना चाहिए। इंजीनियर बाबू जगतसिंह चाहते तो रसीला की तनख्वाह बढ़ा सकते थे परंतु ब उन्होंने कठोर दिल से इंकार कर दिया।
6. "यह वही रूमाल था जिसमें एक दिन पहले किसी ने हज़ार रुपए बाँधकर दिए थे।"
(क) यह वही रूमाल' से क्या आशय है? रूमाल किसके पास था ?
उत्तर - यह वही रूमाल से यह आराय है कि उस रूमाल मे ही ज़िला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन ने हज़ार रूपए की रिश्वत ली थी, रूमाल ज़िला मनिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के पास थी।
(ख) रूमाल धारक का पूर्ण परिचय दीजिए।
उत्तर - रुमाल धारक शेख सलीमुददीन थे और न्यायप्रिय आदमी होकर भी रिश्वत लेते थे। उन्होंने स्वयं हजार रूपए की शिश्वत लेकर भी रसीला को अठन्नी की चोरी के लिए छह महिने की सज़ा सुनाई।
(ग) इनके पास कौन चौकीदारी का कार्य करता था? उसने किस पर कौन-सा उपकार किया था? समझाकर लिखिए।
उत्तर - शेख सलीमुद्दीन के चौकीदार रमजान थे। रमजान रसीला का अच्छा मित्र था और जव रसीला के पास पैसे न थे और उसके बच्चे बीमार थे तब रमज़ान ने तुरंत रसीला के हाथ पर कुछ पैसे रख दिये। वह गरीब होकर भी उसकी मदद की। इस तरह रमज़ान ने रशीला का उपकार किया।
(घ) हज़ार रुपये क्यों दिए गए थे? इस प्रकार के लेन-देन के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर - हज़ार रूपये शेख सलीमुद्दीन को दिए गए थे ताकी असली अपराधी जो अमीर व्यक्ति है वह बच जाए और एक गरीब को उसकी सजा सुनाई जाए। इस प्रकार के लेन-देन को रिश्वत लेना कहते है जिससे अमीर लोग सज़ा से बच सकते है और न्याय को खरीद सकते हैं। इस प्रकार के लेंगे-देन से समाज में भ्रष्टाचार यो बढ़ावा मिलता है और लोगों का न्याय व न्यायपालिका पर से विश्वास खत्म हो जाता है।
7. "चोरी पकड़ी गई तो अपराध हो गया। असली अपराधी बड़ी-बड़ी कोठियों में बैठकर दोनों हाथों से धन बटोर रहे हैं। उन्हें कोई नहीं पकड़ता।"
(क) चोरी किसने व क्यों की थी? क्या उसकी चोरी अपराध के लायक थी?
उत्तर - रसीला ने बहुत बार इंजिनीयर बाबू जगतसिंह से वेतन बढ़ाने का निवेदन किया परंतु वह मना कर दिया तो रमज़ान को कर्ज देने की मजबूरी में उसे वह अठन्नी चोरी करनी पड़ी। नहीं, वह गरीब था और उसने एक अवन्नी ही चोरी की थी इसलिए उसे माफ किया जा सकता था।
(ख) असली अपराधी से क्या तात्पर्य है? यहाँ असली अपराधी किसे कहा गया है?
उत्तर - असली अपराधी वह है जो बड़ी-बड़ी रकम रिश्वत मे लेता है और उन्हें कोई पकड़ता भी नही।यहाँ असली अपराधी इंजीनियर बाबू जगतसिंह और शेख सलीमुद्दीन है जो रिश्वत लेते भी है और समाज में अपना नाम भी कमाते हैं।
(ग) 'उन्हें कोई नहीं पकड़ता' से आप क्या समझते हैं? उनको पकड़ा क्यों नहीं जाता? समझाकर लिखिए।
उत्तर - "उन्हें कोई नहीं पकड़ता" से हम यह समझते है कि अमीर लोग बो रिश्वत लेते हैं उन्हें कोई न पकड़ पाएगा परंतु यदि एक गरीब नौकर एक अठन्नी की चोरी करे तब उसे सज़ा सुनाई जाती है। अमीर लोग पकड़े नही जाते क्योंकि शेख सलीमुद्दीना जैसे मजिस्ट्रेट के कारण यह लोग न्याय को रिशवत से खरीद लेते हैं और बच जाते हैं। और निर्दोष को सजा भुगतनी पड़ती है।
(घ) इस कहानी में लेखक ने समाज की कौन-सी बुराई को प्रकट करने का प्रयास किया है? क्या वे अपने प्रयास में सफल हुए हैं? समझाकर लिखिए।
उत्तर - इस कहानी मे श्री सुदर्शन जी ने अमीर मानिको की कठोरता को दर्शाया है और अमीर लोग चाहे कितना भी रिश्वत परंतु एक गौरीब नौकर एक अठन्नी की चोरी के लिए छह महीने की सजा सुनता है। अमीर लोग नौकरों को उचित तनख्वाह न देकर भी जरूरत से अधिक काम करवाते हैं। हाँ, उनका प्रयास सफल हुआ। इस कहानी में लेखक ने समाज में फैली रिश्वतखोरी जैसी बुराई को प्रकट करने का प्रयास किया है।
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